Indiai bengáli hangos történet
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अमार मेज बोधी नाम लिपी, बोयस तीन एक, गायर रंग उज्जल फर्षा, सुरीरेर गथुन तीन छय तीन छय चार सुन्न।
अनेक आकरशुनिय सुरीर, तार छेहरा ता खुब मयाबी, एक बार देखले ता किये ठाकते इच्छे करे,
बोधीर सब्चे आकरशुनिय अंगो होच्छे तार दूद आर पाछा, साथे गभीर नाभी, जा आमार खुब प्रियो, बोधी के बिये करे आने दूई सुन्न एक सुन्न शाले,
दादा सोधी थाके, दूई बछर पर पर्देशे आशे, बिये करे दूई माश पर दादा अबर जथारिती बिदेशे चले जाये, एके तो नतुन बुतारू पर दादा दूई माश थेके ही चले गयलो, आमार मने दुस्टु बुध्य चापे, प्लैन करते था कि बोधी के
बादा पर बचाना नेवा जाये, किभाबे चोदा जाये, आमादेर बाशाए बाबा, मा, शेज भाई आर आमी ठाकताम, तो सुझोग होए उठछे तबे आमी आमार
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